दाभोलकर मर्डर केस: CBI के हाथ लगा अहम सुराग, 7 साल बाद ठाणे की खाड़ी से मिली पिस्तौल

सामाजिक कार्यकर्ता एवं उन्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र दाभोलकर (Narendra Dabholkar) की हत्या के मामले में सीबीआई (CBI) के हाथ एक बड़ा सबूत लगा है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक उनकी हत्या के करीब सात साल बाद ठाणे की खाड़ी से एक पिस्तौल मिली है, जिसे जांच के लिए फॉरेंसिक लैब (Forensic Lab) में भेज दिया गया है. इसी खाड़ी में हत्या के बाद पिस्तौल फेंकी गई थी. हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि यह वही पिस्तौल है, जिससे दाभोलकर की हत्या की गई थी. इस बात का खुलासा रिपोर्ट आने के बाद होगा. गौरतलब है कि अंधविश्वास के खिलाफ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

दाभोलकर हत्या प्रकरण के सबूत नष्ट करने की कोशिश और आरोपियों को मदद करने के मामले में सीबीआई ने संजीव पुनालेकर और उसके सहयोगी विक्रम भावे को हिरासत में लिया था. दोनों पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है.

कौन थे नरेंद्र दाभोलकर
नरेंद्र अच्युत दाभोलकर पेशे से डॉक्टर थे. अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जागृत करने का काम भी करते थे. इस क्रम में उन्होंने 1989 में महाराष्ट्र अंधविश्वास निर्मूलन समिति भी बनाई थी जिसके वो अध्यक्ष थे. सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे दाभोलकर कई बार जान से मारने की धमकी मिल चुकी थी. 20 अगस्त 2013 को पुणे में जब वो मॉर्निंग वॉक पर निकले थे तब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

केंद्रीय जांच ब्यूरो दाभोलकर मामले की जांच कर रही है, जबकि राज्य का अपराध जांच विभाग (सीआईडी) पानसरे के मामले की जांच कर रहा है. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस आरआई छागला की पीठ ने कहा यहां न्याय प्रदान करने वालीव्यवस्था की विश्वसनीयता दांव पर है. लोगों का व्यवस्था में भरोसा नहीं टूटना चाहिए. पीठ ने कहा कि अपराध 2013 और 2015 में हुए थे. मुकदमे की सुनवाई में देरी उचित नहीं है.